Monday, August 11, 2008

डिप्लोमा

एक दिन
मैं दिल्ली पहुँचा
स्टेशन पर कुली से बहार जाने का रास्ता पूंछा
कुली ने कहा, बहार जाकर पूंछ लो
मैंने ख़ुद ही रास्ता ढूंढ़ लिया
बहार जाकर टैक्सी वाले से पूंछा
लाल किले का कितना लोगे
ज़बाब मिला, बेचना नहीं है
टैक्सी छोड़ मैंने बस पकड़ ली
कंडेक्टर से पूंछा क्या में सिगरेट पी सकता हूँ
कंडेक्टर गुर्राया, और बोला हरगिज नही
तुम्हे पता नहीं यहाँ सिगरेट पीना मना है
मैंने कहा वो जनाब तो पी रहें हैं
कंडेक्टर फ़िर गुर्राया और बोला
उसने मुझसे पूंछा नही है
लाल किले पहुँचा, होटल गया
मेनेजर से कहा रूम चाहिए सातवीं मंजिल पर
मेनेजर बोला
रहने के लिए या कूदने के लिए
रूम पहुँचा वेटर से कहा
एक पानी का गिलास मिलेगा
उसने जबाब दिया, नही साहब यहाँ तो सारे कांच के गिलास हैं
होटल से निकला दोस्त के घर जाने के लिए
रास्ते में एक साहब से पूंछा
जनाब ये सड़क कहाँ जाती हैं
जनाब हंस कर बोले
पिछले बीस सालो से देख रहा हूँ, यहीं पड़ी हैं कहीं नही जाती
दोस्त के घर पहुँचा, देखकर चोंक पड़ा
उसने पूंछा कैसे आना हुआ
अब तक मुझे भी आदत पड़ गई थी
मैंने कहा ट्रेन से
आवभगत करने के लिए दोस्त ने
अपनी पत्नी से कहा
अरे सुनती हो मेरा दोस्त पहली बार आया है
उसे कुछ ताज़ा ताज़ा खिलाओ
सुनते ही भाभी जी ने सारे खिड़की और दरवाजे खोल दिए
और कहा ताजी ताजी हवा खाइए
दोस्त ने फ़िर बड़े प्यार से अपनी बीबी से कहा
अरे सुनती हो
ज़रा इन्हे वो अपना चालीस साल पुराना अचार दिखाओ
भाभी जी एक बाल्टी में रखा अचार उठा लाई
मैंने भी अपनापन दिखाते हुए कहा
भाभी जी अचार सिर्फ़ दिखाएंगी या चाखायेंगी भी
भाभी जी ने तपाक से ज़बाब दिया
यूँ ही अगर सबको चखाती
तो अचार चालीस साल पुराना कैसे होता

थोडी देर बाद देखा भाभी जी कुछ गा रहीं हैं
डिप्लोमा सो जा, डिप्लोमा सो जा,
सुनकर मैं हैरान हुआ और दोस्त से पूंछा
यार ये डिप्लोमा क्या है
दोस्त ने जबाब दिया धोते का नाम है
बेटी बम्बई गई थी डिप्लोमा लेने के लिए
और साथ में इसे ले आई
इसलिए हमने इसका नाम डिप्लोमा रख दिया
फ़िर मैंने कहा आजकल बेटी क्या कर रही है
दोस्त बोला बम्बई गई है डिग्री लेने के लिए

4 comments:

शोभा said...

थोडी देर बाद देखा भाभी जी कुछ गा रहीं हैं
डिप्लोमा सो जा, डिप्लोमा सो जा,
सुनकर मैं हैरान हुआ और दोस्त से पूंछा
यार ये डिप्लोमा क्या है
दोस्त ने जबाब दिया धोते का नाम है
बेटी बम्बई गई थी डिप्लोमा लेने के लिए
और साथ में इसे ले आई बहुत अच्छा लिखा है। स्वागत है आपका

रश्मि प्रभा... said...

maza aa gaya......thoda hatke style hai isme

राजेंद्र माहेश्वरी said...

सबसे अधिक खराब दिन वे हे , जिस दिन हम एक बार भी हंसी के ठहाके नही लगाते है |

स्वागत है आपका...

Amit K Sagar said...

बहुत अच्छा. लिखते रहिये. शुभकामनयें..
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